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shivalingas.

Shravan Maas Dates : Sat, 1 August 2015 to Sat, 29 August 2015

Shavan First Monday : 3 August 2015

Other 3 monday : 10 August, 17 August  & 24 August
Shravani Purnima: Sat, 29 August

The month of Shravan is the fifth month of the Hindu calender beginning from Chaitra, and is the most auspicious month of the Chaturmas. On Purnima or fullmoon day, or during the course of the month the star 'Shravan' rules the sky, hence the month is called Shavan. This month is spread out with innumerably religious festivals and ceremonies and almost all the days of this month are auspicious.

श्रावण मासमें आशुतोष भगवान्‌ शंकरकी पूजाका विशेष महत्व है। जो प्रतिदिन पूजन न कर सकें उन्हें सोमवारको शिवपूजा अवश्य करनी चाहिये और व्रत रखना चाहिये। सोमवार भगवान्‌ शंकरका प्रिय दिन है, अत: सोमवारको शिवाराधन करना चाहिये।

श्रावणमें पार्थिव शिवपूजाका विशेष महत्व है। अत: प्रतिदिन अथवा प्रति सोमवार तथा प्रदोषको शिवपूजा या पार्थिव शिवपूजा अवश्य करनी चाहिये।

सोमवार के व्रत के दिन प्रातःकाल ही स्नान ध्यान के उपरांत मंदिर देवालय या घर पर श्री गणेश जी की पूजा के साथ शिव-पार्वती और नंदी की पूजा की जाती है। इस दिन प्रसाद के रूप में जल  ,  दूध  ,  दही  ,  शहद  ,  घी  ,  चीनी  ,  जने‌ऊ  ,  चंदन  ,  रोली  ,  बेल पत्र  ,  भांग  ,  धतूरा  ,  धूप  ,  दीप और दक्षिणा के साथ ही नंदी के लि‌ए चारा या आटे की पिन्नी बनाकर भगवान पशुपतिनाथ का पूजन किया जाता है। रात्रिकाल में घी और कपूर सहित गुगल, धूप की आरती करके शिव महिमा का गुणगान किया जाता है। लगभग श्रावण मास के सभी सोमवारों को यही प्रक्रिया अपना‌ई जाती है।

इस मासमें लघुरुद्र, महारुद्र अथवा अतिरुद्र पाठ करानेका भी विधान है।

इस मास के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग पर शिवामूठ च़ढ़ा‌ई जाती है। वह क्रमशः इस प्रकार है :

प्रथम सोमवार को- कच्चे चावल एक मुट्ठी, दूसरे सोमवार को- सफेद तिल्ली एक मुट्ठी, तीसरे सोमवार को- ख़ड़े मूँग एक मुट्ठी, चौथे सोमवार को- जौ एक मुट्ठी और यदि पाँचवाँ सोमवार आ‌ए तो एक मुट्ठी सत्तू च़ढ़ाया जाता है।

शिव की पूजा में बिल्वपत्र अधिक महत्व रखता है। शिव द्वारा विषपान करने के कारण शिव के मस्तक पर जल की धारा से जलाभिषेक शिव भक्तों द्वारा किया जाता है। शिव भोलेनाथ ने गंगा को शिरोधार्य किया है।
एक कथा के अनुसार श्रीविष्णु पत्नी लक्ष्मी ने शंकर के प्रिय श्रावण माह में शिवलिंग पर प्रतिदिन 1001 सफेद कमल अर्पण करने का निश्चय किया। स्वर्ण तश्तरी में उन्होंने गिनती के कमल रखे, लेकिन मंदिर पहुँचने पर तीन कमल अपने आप कम हो जाते थे। सो मंदिर पहुँचकर उन्होंने उन कमलों पर जल छींटा, तब उसमें से एक पौधे का निर्माण हु‌आ। इस पर त्रिदल ऐसे हजारों पत्ते थे, जिन्हें तोड़कर लक्ष्मी शिवलिंग पर चढ़ाने लगीं, सो त्रिदल के कम होने का तो सवाल ही खत्म हो गया।

और लक्ष्मी ने भक्ति के सामर्थ्य पर निर्माण कि‌ए बिल्वपत्र शिव को प्रिय हो ग‌ए। लक्ष्मी यानी धन-वैभव, जो कभी बासी नहीं होता। यही वजह है कि लक्ष्मी द्वारा पैदा किया गया बिल्वपत्र भी वैसा ही है। ताजा बिल्वपत्र न मिलने की दशा में शिव को अर्पित बिल्वपत्र पुनः चढ़ाया जा सकता है। बिल्वपत्र का वृक्ष प्रकृति का मनुष्य को दिया वरदान है।

सुहागन स्त्रियों को इस दिन व्रत रखने से अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है। विद्यार्थियों को सोमवार का व्रत रखने से और शिव मंदिर में जलाभिषेक करने से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। बेरोजगार और अकर्मण्य जातकों को रोजगार तथा काम मिलने से मानप्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। सदगृहस्थ नौकरी पेशा या व्यापारी को श्रावण के सोमवार व्रत करने से धन धान्य और लक्ष्मी की वृद्धि होती है।

वहीं भगवान श्री कृष्‍ण के वृन्‍दावन में भी सावन के महीने में बहारें छायीं रहेंगीं, जहॉं झूलों और रास लीला‌ओं का परम्‍परागत उत्‍सव रहेगा वहीं कृष्‍ण साधना और कृष्‍ण पूजा भी इन दिनों भारी संख्‍या में होगी ।

सावन के पूरे महीने जहॉं शिव और कृष्‍ण की पूजा और साधना परम्‍परा चलेगी वहीं शिवालय और कृष्‍ण मन्दिर इन दिनों लोगों के मेलों से घिरे रहेंगे ।

आज भी उत्तर भारत में कांवड़ परम्परा का बोलबाला है। श्रद्धालु गंगाजल लाने के लि‌ए हरिद्वार  ,  गढ़ गंगा और प्रयाग जैसे तीर्थो में जाकर जलाभिषेक करने हेतु कांवड़ लेकर आते हैं। यह सब साधन शिवजी की कृपा प्राप्त करने के लि‌ए है।

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