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दीवाली लक्ष्मी पूजन विधि – 


Quick and Easy Laxmi Puja @ Home

एक पट्टे पर लाल कपड़ा बिछाकर पट्टे को चारों ओर से कलावे से बांध दें। फिर इस पर हल्दी और आटे से एक अष्टदल कमल या श्री लक्ष्मी यंत्र बनाएं। पट्टे पर एक ओर लघु सूखा नारियल और दूसरी ओर दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करें। पट्टे के नीचे दायीं ओर चावल की ढेरी पर एक कलश स्थापित करें। पूजा प्रारंभ करने से पूर्व साधक दुरात्माओं और आसुरी शक्तियों को भगाने के लिए चारों दिशाओं में राई या सरसों फेंकें तथा पवित्रीकरण मंत्र से अपने चारों ओर पवित्र जल से छींटे डालें।

हाथ में जल लेकर संकल्प मंत्र से पूजा का संकल्प लें।

मैं (अपना नाम बोलें), सुपुत्र श्री (पिता का नाम बोलें), जाति (अपनी जाति बोलें), गोत्र (गोत्र बोलें), पता (अपना पूरा पता बोलें) अपने परिजनो के साथ जीवन को समृध्दि से परिपूर्ण करने वाली माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिये कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी पूजन कर रहा हूं। हे मां, कृपया मुझे धन, समृध्दि और ऐश्वर्य देने की कृपा करें। मेरे इस पूजन में स्थान देवता, नगर देवता, इष्ट देवता कुल देवता और गुरु देवता सहायक हों तथा मुझें सफलता प्रदान करें।

यह संकल्प पढकर हाथ में लिया हुआ जल, पुष्प और अक्षत आदि श्री गणेश-लछ्मी के समीप छोड दें।

वरुण (कलश) पूजनम 

वरुण देवता का आवाहन कर कलश पूजन करें |
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि आदि मंत्र से षोडशोपचार पूजन करें।

इसके बाद हाथ जोड़ कर वरुण देवता को नमस्कार करें |

श्री गणपति पूजनम 

हाथ में चावल और फूल लेकर गणेशजी का अहवान करें|
ओम विनायकम मह्त्पुश्यम सर्वदेव नमस्कृतं सर्वविघ्नाहरम गौरीपुत्रं आवाहयाम |
हाथ के चावल और फूल गणेश जी पर छोड़ दें |

ध्यान :
गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जम्बूफल चारु भक्षण्म्।
उमासुत शोकविनाशकं, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
श्री मन्महागणाधिपतये नमः।

गणपति पूजन :
ओम गं गणपतये नम : स्नानं समर्पयामि
जल गणेश जी को स्नानं अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : वस्त्रं समर्पयामि
कलावा तोड़ कर अथवा वस्त्र गणेशजी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : यज्ञोपवीतं समर्पयामि
कलावा गणेश जी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : गन्धं समर्पयामि
इत्र गणेशजी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : पुश्प्मालाय्म समर्पयामि
गणेश जी को फूलमाला अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : धूपं दीपं द्रश्यमी
धूप दीप को हाथ से गणेशजी को दिखाएँ
ओम गं गणपतये नम : नवैध्येम निवेदयामि
मिष्ठान व खील बताशे , खिलोने गणेश को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : ऋतुफलं समर्पयामि
फल गणेश जी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : ताम्बूलं पुन्गिफलम समर्पयामि
एक पान के पत्ते पर सुपारी इलायची लौंग रख कर गणेशजी को अर्पित करें
ओम गं गणपतये नम : दक्षिणाम समर्पयामि
यथायोग्य दक्षिणा अर्पित करें |

श्री गणेश पूजन के पश्चात षोडश मातृका एवं नवग्रहों का पूजन करें।

षोडश मातृका पूजन

पूजा कि थाल पर त्रिशूल अंकित करें | त्रिशूल पर अक्षत चढ़ाते हुए यह प्रार्थना करते हुए षोडश मातृकाओं का आवाहन व् नमस्कार करें |

बेग पधारो गेह मम , सोलह माता आप |
वश बढे पीड़ा कटे , मिटे शोक संताप ||
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि आदि मंत्र से षोडश मातृकाओं का का षोडशोपचार पूजन करें और उनको नमस्कार करें |

नवग्रह पूजनम

अब पूजा कि थाल में कुमकुम कि नौ बिंदियों पर अक्षत अर्पित करते हुए नवग्रहो का आवाहन करें |
रवि शशि मंगल बुध गुरु , शुक्र शनि महाराज |
राहु केतु नव गृह नमो, सकल संवारो काज ||
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि आदि मंत्र से नवग्रह देवताओ का षोडशोपचार पूजन करें और फिर उनको नमस्कार करें |

कुबेर पूजनम :

सर्वप्रथम निम्नलिखित मन्त्र के साथ कुबेरजी महाराज का आवाहन करें-
आवाहयामि देव त्वामिहायामि कृपां कुरु ।
कोशं वर्द्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर ॥
अब हाथ में अक्षत लेकर निम्नलिखित मंत्र से कुबेरजी का ध्यान करें
मनुजवाह्यविमानवरस्थितं,
गरुडरत्ननिभं निधिनायकम ।
शिवसखं मुकुटादिविभूषितं,
वरगदे दधतं भज तुन्दिलम ॥
हाथ में लिए हुए अक्षतों को कुबेरयंत्र, चित्र या विग्रह के समक्ष चढा दें.
पाद्यं समर्पयामि, अघ्र्य समर्पयामि, आचमनं समर्पयामि, पंचामृत स्नानं समर्पयामि, वस्त्रं समर्पयामि, पुश्प्मालाय्म समर्पयामि,धूपं दीपं द्रश्यमी,नवैध्येम निवेदयामि, ऋतुफलं समर्पयामि, दक्षिणाम समर्पयामि आदि मंत्र से कुबेरजी का षोडशोपचार पूजन करें और फिर उनको नमस्कार करें |

श्री लक्ष्मी पूजनम्

हाथ में पुष्प लेकर श्री महालक्ष्मी का आवाहन करें-
ॐ हिरण्यवर्णा हरिणी सुवर्ण रजतस्त्रजाम्।
चंद्रा हिरण्यमयी लक्ष्मी जातवेदो मे आवह।।
ॐ श्रीं हृीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः आवाहनंचासनं समर्पयामि।
हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लेकर पद्मासन में बैठकर श्री महालक्ष्मी देवी का ध्यान करें-
हस्त द्वयेन कमले धारयंती स्वलीलया।
हारनूपुर संयुक्ता लक्ष्मी देवी विचिन्तयेत।।

अष्टलक्ष्मी पूजन

श्री महालक्ष्मी की स्थपना और ध्यान के पश्चात् दाएं हाथ में रोली, अक्षत और पुष्प लेकर अष्ट लक्ष्मियों को अर्पित करते हुए नमस्कार करें-
ॐ आद्या नमः ॐ विद्या लक्ष्म्यै नमः ॐ सौभाग्य लक्ष्म्यै नमः ॐ अमृत लक्ष्म्यै नमः ॐ काम लक्ष्म्यै नमः ॐ सत्य लक्ष्म्यै नमः ॐ भोग लक्ष्म्यै नमः ॐ योग लक्ष्म्यै नमः।

दीप अर्पण मंत्र :
इसके पश्चात् श्री महालक्ष्मी को पांच ज्योतियों वाला गोघृत का दीपक निम्न मंत्र के द्वारा अर्पित करें-
ॐ कर्पासवर्ति संयुक्तं घृतयुक्तं मनोहरम्।
तमो नाशकरं दीपं ग्रहणं परमेश्वरी।।

श्रीसूक्त के मंत्रों से श्री महालक्ष्मी का षोडशोपचार पूजन करें।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः पाद्यं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः अघ्र्य समर्पयामि,ॐ महालक्ष्म्यै नमः आचमनं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः पुश्प्मालाय्म समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः धूपं दीपं द्रश्यमी, ॐ महालक्ष्म्यै नमः नवैध्येम निवेदयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः ऋतुफलं समर्पयामि, ॐ महालक्ष्म्यै नमः दक्षिणाम समर्पयामि आदि मंत्र से महालक्ष्मीजी का षोडशोपचार पूजन करें|

त्रैलोक्य पूजिते देवि कमले विष्णु वल्लभे। यथ त्वमचला कृष्णे तथा भावभार्य स्थिरा।।
ईश्वरी कमला लक्ष्मीश्चला भूतिहरिप्रिया। पद्मा पद्मालया संपदुच्चैः श्री पद्माधारिणी।।
द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्यः पठेत्। स्थिर लक्ष्मी केतस्थ पुत्रदारादिभिः सह।।
ॐ हृीं महाक्ष्म्यै च विद्महै, विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
श्रीं हृीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद। श्रीं हृीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्यै नमः।।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
आदि मंत्रो से महादेवी को नमस्कार करें |

सरस्वती पूजन

दीपावली पर सरस्वती पूजन करने का भी विधान है. इसके लिए लक्ष्मी पूजन करने के पश्चात निम्नलिखित मन्त्रों से मॉं सरस्वती का भी पूजन करना चाहिए|
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
हाथ में लिए हुए अक्षतों और फूलो को मॉं सरस्वती के चित्र के समक्ष चढा दें|
माँ सरस्वती का षोडशोपचार पूजन करें और फिर उनको नमस्कार करें |
सरस्वती महाभागे देवि कमललोचने ।
विद्यारुपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तुते ।

कलम दवात आदि की भी पूजा करें | यह माँ काली की पूजा का प्रतिक होता है |

पहले गणेशजी की आरती करें | फिर माँ लक्ष्मी की आरती करें | 

आरती के बाद दोनों हाथों से फूल लेकर पुष्पांजलि के रूप में माँ को अर्पित करें |

|| ॐ महालक्ष्म्यै नम: पुष्पांजलि समर्पयामि ||


समर्पण :

निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए महालक्ष्मी के समक्ष पूजन कर्म को समर्पित करें और इस निमित्त जल अर्पित करें :
कृतेनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीयताम न मम ॥

क्षमा प्रार्थना :

अब मॉं लक्ष्मी के समक्ष दण्डवत प्रणाम करें तथा अनजानें में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा मॉंगते हुए, देवी से सुख -समृद्धि, आरोग्य तथा वैभव की कामना करें|


( इसके बाद आप प्रसाद वितरण करें )

दीवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं |