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Gaya Shraddh (Pind Daan)
गयाजी की महिमा : गया श्राद्धसे प्रेतयोनिसे मुक्ति

ॐ गयायै नमः । ॐ गदाधराय नमः ।

वायुपुराण आदि कई पुराणोंमें आया है कि किसी प्रेतने एक वैश्यसे कहा कि ‘आप मेरे नामसे गयाशिरमें पिण्डदान कर दें, इससे हमारी प्रेतयोनिसे मुक्ति हो जायेगी। मेरा सम्पूर्ण धन आप ले लें और उसे लेकर मेरे उद्धेश्यसे गयाश्राद्ध कर दें। इसके बदलेमें मैं अपनीसम्पत्तीका छठा अंश आपको पारिश्रमिकके रुपमें दे रहा हूँ। मैं आपको अपना नाम-गोत्रादि भी बता रहा हूँ।’

प्रेतके अनुरोधपर उस वणिक्‌ने गयाकी यात्रा की और गयाशिरमें जाकर उस प्रेतके निमित्त पिण्ड प्रदान किया और उसके बाद अपने पितरोंका भी पिण्डदान किया। पिण्डदानके प्रभावसे वह प्रेत प्रेतयोनिसे मुक्त हो गया -
‘प्रेत: प्रेतत्वनिर्मुक्तः’ (वायुपुराण ११२।२०)

इसलिये कहा गया है कि गयाशिरमें जाकर जिन-जिनके नामसे मनुष्य पिण्डदान करता है, वे यदि नरकमें हैं तो स्वर्ग पहुँच जाते हैं और स्वर्गमें हैं तो मुक्ति प्राप्त करते हैं।
(वायुपुराण १११।७४)

अपना औरस पुत्र हो अथवा किसी अन्यका पुत्र हो, जब कभी गयाक्षेत्रकी पवित्र भूमीपर जिस-जिसके नामसे पिण्डदान करता है, उस-उसको वह पिण्ड शाश्‍वत ब्रह्मपदको प्राप्त करता है। गयातीर्थमें जिस किसीके द्वारा भी जिस किसीका नाम-गोत्रका उच्चारणकर यदि पिण्ड दिया जाता है तो वह उसे परम गति प्राप्त करा देता है ।
(वायुपुराण १०५।१४-१५)

Pitra Paksh (Shraddh) ceremony starts: Tue, 5 September 2017
SarvPitru (Amavasya) Shraddha : Tue, 19 September 2017